30 Amazing Points संधि और संधि के भेद
30 Amazing Points संधि और संधि के भेद
संधि
संधि का सामान्य अर्थ होता है दो वर्णो का मेल और दो समीपवर्ती वर्णों के पारस्परिक मेल को संधि कहते है।
संधि के भेद
संधि के तीन भेद है-
1. स्वर संधि
2. व्यजंन संधि
3. विसर्ग संधि
1. स्वर संधि – दो स्वरों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं।
स्वर संधि के पाँच भेद हैं-
1. दीर्घ संधि
2. गुण संधि
3. यण संधि
4. वृद्धि संधि
5. अयादि संधि
30 Amazing Points संधि और संधि के भेद
1. दीर्घ संधि – जब दो स्वर मिलकर दीर्घ हो जाते हैं, तो ‘दीर्घ संधि होती है।
उदाहरण-
परम +अर्थ = परमार्थ
धर्म + अर्थ = धमार्थ
मत +अनुसार = मतानुसार
वेद + अन्त = वेदान्त
देव + अर्चन = देवार्चन
परम + अणु = परमाणु
सुख + अर्थ = सुखार्थ
रेखा + अंकित = रेखाकिंत
सीमा + अन्त = सीमान्त
दीक्षा + अन्त = दीक्षान्त
विद्या + अभ्यास = विद्याभ्यास
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
कपि + इन्द्र = कपीन्द्र
गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र
शची + इन्द्र = शचीन्द्र
मही + इन्द्र = महीन्द्र
नारी + इन्दु = नारीन्दु
गुरू + उपदेश = गुरूउपदेश
सु + उक्ति = सूक्ति
विधु + उदय = विधूदय
लघु + उत्तर = लघूत्तर
स्व + आगत = स्वागत
हिम + आलय = हिमालय
धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
रत्न + आकर = रत्नाकर
छात्र + आलय = छात्रालय
शिव + आलय = शिवालय
देव + आगमन = देवागमन
विद्या + आलय = विद्यालय
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
महा + आशय = महाशय
विद्या + आनन्द = विद्यानन्द
श्रद्धा + आनन्द = श्रद्धानन्द
गिरि + ईश = गिरीश
फणि + ईश्वर = फणीश्वर
मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
हरि + ईश = हरीश
सती + ईश = सतीश
नदी + ईश = नदीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
साधु + ऊर्जा = साधूर्जा
भू + उन्नति = भून्नति
वधु + उत्सव = वधूत्सव
2. गुण संधि –
गुण संधि में ‘अ‘ अथवा ‘आ‘ के बाद यदि ‘इ‘ अथवा ‘ई‘ हो तो दोनो मिलकर ‘ए‘ बन जाता है। यदि ‘अ‘ अथवा ‘आ‘ के बाद ‘उ‘ या ऊ‘ हो तो दोनों मिलकर ‘ओ‘ बन जाता है । यदि ‘अ‘ अथवा ‘आ‘ के बाद ‘ऋ‘ हो, तो दोनो मिलकर ‘अर‘ बन जाता है । तब गुण संधि होती है।
उदाहरण-
परम + ईश्वर = परमेश्वर
नर + ईश = नरेश
सुर + ईश = सुरेश
राम + ईश्वर = रामेश्वर
महा + इन्द्र = महेन्द्र
राज + इन्द्र = राजेन्द्र
हेमा + इन्द्र = हेमेन्द्र
हित + उपदेश = हितोपदेश
मानव + उचित = मानवोचित
अछूत + उद्धार = अछूतोद्धार
पर + उपकार = परोपकार
नर + उत्तम = नरोत्तम
दया + ऊर्मि = दयोर्मि
महा + ऊर्मि = महोर्मि
महा + ऋर्षि = महर्षि
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
भारत + इन्दु = भारतेन्दु
नर + इन्द्र = नरेन्द्र
महा + ईश = महेश
उमा + ईश = उमेश
रमा + ईश = रमेश
नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
महा + उत्सव = महोत्सव
विद्या + उत्तम = विद्योत्तम
महा + उदय = महोदय
महा + उदधि = महोदधि
देव + ऋषि = देवर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
वर्षा + ऋतु = वर्षर्तु
3. यण संधि –
‘इ‘ ‘ई‘ के बाद विजातीय स्वर आने पर वह ‘य‘ में ‘उ‘, ‘ऊ‘ के बाद विजातीय स्वर आने पर ‘व‘ में और ऋ के बाद विजातीय स्वर आने पर ‘व‘ में और ‘ऋ‘ के बाद विजातीय स्वर आने पर ‘र‘ में बदल जाता है। तब यण संधि होती है।
उदाहरण –
इ + अ = य
गति + अवरोध = गत्यवरोध
अति + अधिक = अत्यधिक
यदि + अपि = यद्यपि
अति + अन्त = अत्यन्त
अभि + उदय = अभ्युदय
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
देवी + आलय = देव्यालय
सु + आगत = स्वागत
अनु + एषक = अन्वेषक
अनु + एषण = अन्वेषण
इ +आ = या, (ई +आ = या)
नदी + आगमन = नद्यागमन
अति + आवृयक = अत्यावृयक
इति + आदि = इत्यादि
अति + आचार = अत्याचार
अभि + आगत = अभ्यागत
प्रति + एक = प्रत्येक
देवी + अर्पण = देव्यर्पण
सु + अल्प = स्वल्प
मधु + रि = मध्वरि
सु + अच्छ = स्वच्छ
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
पितृ + आदेश = पित्रादेश
4. वृद्धि संधि –
जब ‘अ‘ अथवा ‘आ‘ के बाद ‘ए‘ अथवा ‘ऐ‘ स्वर आए तो वहाँ ‘ऐ‘, ‘अ‘ अथवा ‘आ‘ के बाद ‘ओ‘ अथवा ‘औ‘ आए तो वहाँ ‘औ‘ हो जाता है, तब वृद्धि संधि कहलाती है।
उदाहरण –
अ + ए = ऐ, आ + ए = ऐ
एक + एक = एकैक
यथा + एव = यथैव
सदा + एव = सदैव
तथा + एव = तथैव
राजा + ऐश्वर्य = राजैश्वर्य
माता + ऐश्वर्य = मातैश्वर्य
अ + ऐ = ऐ, आ + ऐ = ऐ
मत + ऐक्य = मतैक्य
धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य
नव + ऐश्वर्य = नवैश्वर्य
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
परम + ओजस्वी = परमौजस्वी
दन्त + ओष्ठ = दन्तोष्ठ
5. अयादि संधि –
जब ‘ए‘, ‘ऐ‘, ‘ओ‘, ‘औ’, के पश्चात् कोई विजातीय स्वर आए तो ये क्रमशः अय, आय, अव और आव में परिवर्तित हो जाते हैं।
उदाहरण –
ए + अ = अय
ने + अन = नयन
शे + अन = शयन
चे + अन = चयन
भो + अन = भवन
पो + अन = पवन
हो + अन = हवन
पो + इत्र = पवित्र
ऐ + अ = आय
नै + अक = नायक
गै + अक = गायक
गै + अन = गायन
पौ + अन् = पावन
पौ + अक = पावक
श्रौ + अन = श्रावण
भो + इष्य = भविष्य
2. व्यंजन संधि –
किसी व्यंजन के पश्चात् जब कोई व्यंजन अथवा स्वर आए तो व्यजंन + व्यजंन अथवा व्यंजन + स्वर के इस मेल को व्यंजन संधि कहते है।
व्यंजन संधि के प्रमुख नियम निम्नवत हैं –
1. जब (क्, च, द्, त्, प) वर्ग मे से प्रथम वर्ण का मेल किसी स्वर से होता है, तो उस वर्ग का प्रथम वर्ण अपने ही वर्ग के ‘तृतीय वर्ण‘ मे बदल जाता है।
2. जब किसी वर्ग के प्रथम वर्ण का मेल किसी ‘अनुनासिक वर्ण‘ से होता है, तो उस वर्ग का प्रथम वर्ण अपने ही वर्ग के ‘तृतीय वर्ण‘ मे बदल जाता है।
3. जब त अथवा द का मेल च अथवा छ वर्ण होता है, तो उनके स्थान पर वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है।
4. द अथवा द का मेल श से हो, तो त अथवा द ‘च‘ में तथा द ‘च‘ में तथा श छ् बदल जाता है।
5. त अथवा द के पश्चात ‘ह‘ वर्ण आने पर त ‘द‘ मे तथा ह ‘ध‘ मे बदल जाता है।
6. ‘म‘ वर्ण के पश्चात् आने वाले वर्ण के स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवा वर्ण आता है।
7. यदि किसी स्वर के पश्चात् ‘ह‘ आए तो उसके स्थान पर ‘च्छ‘ हो जाता है।
8. यदि ‘म‘ के पश्चात् ‘क‘ से म तक के वर्णों के अतिरिक्त अन्य कोई वर्ण आए तो ‘म‘ अनुस्वार मेें बदल जाता है।
9. जब ‘अ‘ तथा ‘आ‘ स्वर के अतिरिक्त अन्य किसी स्वर के पश्चात् स आए तो ‘स‘ के स्थान पर ‘प‘ हो जाता है।
10. यौगिक शब्दों से पूर्व यदि शब्द के अन्त में न‘ आए तो संधि में उसका लोप हो जाता है।
दिक् + अम्बर = दिगम्बर
दिक् + गज = दिग्गज
वाक् + जाल = वाग्जाल
जगत् + आनन्द = जगदानन्द
वाक् + ईश = वागीश
जगत् + ईश = जगदीश
षट् + दर्शन = षडदर्शन
षट् + आनन = षडानन
जगत + नाथ = जगन्नाथ
जगत् + ईश्वर = जगदीशवर
सत् + जन = सज्जन
सत् + गुरू = सदगुरू
शरत् + चन्द्र = शरदचन्द्र
उत् + ज्वल = उज्ज्वल
उत् + लास = उल्लास
उत् + हार = उद्धार
उत् + हत् = उद्धत्
पद् + हति = पद्धति
भगवत + गीता = भगवद्गीता
सत् + मार्ग = सन्मार्ग
उत् + चारण = उच्चारण
चित् + मय = चिन्यम
तत् + रूप = तद्रूप
वाक् + मय = वाड्मय
सम् + कल्प = संकल्प
3. विसर्ग संधि –
विसर्ग के साथ किसी स्वर अथवा व्यंजन के मेल को विसर्ग संधि कहते हैं। विसर्ग संधि के प्रमुख नियम निम्न हैं-
1. विसर्ग (ः) के बाद यदि ‘च‘ अथवा ‘छ‘ हो तो विसर्ग ‘श्‘ में बदल जाता है।
2. विसर्ग (ः) के बाद ‘ट अथवा ‘ठ हो तो विसर्ग ‘ष्‘ में बदल जाता है।
3. विसर्ग (ः) के पश्चात् ‘त‘ अथवा ‘थ‘ होने पर विसर्ग ‘स‘ मे बदल जाता है।
4. विसर्ग (ः) के पश्चात् ‘श‘, ‘ष‘ व ‘स‘ मे से कोई वर्ण हो तो, उनमे कोई परिवर्तन नहीं होता।
5. विसर्ग (ः) के पश्चात् ‘क‘, ‘ख‘, ‘प‘, ‘फ‘ के होने पर भी विसर्ग के स्थान पर कोई परिवर्तन नहीं होता।
6. यदि विसर्ग (ः) से पूर्व ‘इ अथवा उ‘ हो तथ विसर्ग के पश्चात् ‘क‘, ‘ख‘, ‘प‘, ‘फ‘, मे से कोई वर्ण हो तो , विसर्ग ‘ष्‘ मे बदल जाता है।
7. यदि विसर्ग (ः) के पश्चात् ‘य‘, ‘र‘, ल, व, ह, मे से कोई वर्ण हो तो विसर्ग ‘ओ‘ मे परिवर्तित हो जाता है।
8. यदि विसर्ग (ः) के पूर्व ‘अ‘ आ, के अतिरिक्त अन्य कोई स्वर हो व विसर्ग के पश्चात् य,र,ल, व मे से कोई वर्ण हो अथवा किसी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, वर्ण हो , तो विसर्ग र मे बदल जाता है।
9. यदि विसर्ग (ः) से पहले आ के अतिरिक्त अन्य कोई स्वर हो तथा विसर्ग के पश्चात् र हो तो र का लोप होकर पूर्व का स्वर दीर्घ बन जाता है।
निः + चल = निश्चल
निः + चय = निश्चय
निः + छल = निश्छल
निः + चल = निश्चल
निः + ठुर = निष्ठुर
धनुः + टंकार = धनुषटंकार
मनः + ताप = मनस्ताप
निः + तार = निस्तार
दुः + राहा = दुःराहा
दुः + तर = दुस्तर
निः + शुल्क = निःशुल्क
अन्तः + करण = अन्तःकरण
प्रातः + काल = प्रातःकाल
मनः + योग = मनोयोग
मनः + बल = मनोबल
मनः + विकार = मनोविकार
तपः + बल = तपोबल
पयः + धर = पयोधर
मनः + भाव = मनोभाव
निः + विकार = निर्विकार
निः + जन = निर्जन
निः + धन = निर्धन
दुः + बल = दुर्बल
निः +अर्थक = निरर्थक
निः + भर = निर्भर
पुनः + जन्म = पुनर्जन्म
निः + रोग = नीरोग
निः + रस = नीरस
अतः + एव = अतएव
दुः + ट = दुष्ट
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
निः + आकार = निराकार
निः + पाप = निष्पाप
सरः + ज = सरोज
मनः + विज्ञान = मनोविज्ञान
पुरः + हित = पुरोहित
यशः + धरा = यशोधरा
यशः + दा = यशोदा
निः + उपाय = निरूपाय
30 Amazing Points संधि और संधि के भेद
20 Amazing Points वाक्य के अंग व संरचना
भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण होते हैं, वर्णाें से शब्द बनते हैं तथा शब्दों से वाक्य।
ऐसा सार्थक शब्द-समूह, जो व्यवस्थित हो और पूरा आशय प्रकट कर सके, वाक्य कहलाता है।
वाक्य के अंग-
वाक्य के दो अंग होते हैंः-
1. उद्देश्य
2. विधेय
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1. उद्देश्य –
वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाए। उसे उद्देश्य कहते हैं।
2. विधेय –
वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं।
जैसे- सुमन पुस्तक पढ़ती है।
इस वाक्य में-
‘सुमन’ उद्देश्य है तथा ‘पुस्तक पढ़ती है’ विधेय है।
एक अन्य उदाहरण:
वीर और साहसी ……..सैनिक देश के लिए लड़े।
उद्देश्य विधेय
अर्थ के आधार पर वाक्य परिवर्तन के अन्य उदाहरण-
1. निषेधवाचक वाक्य में
(i) बच्चे खेल रहे हैं।
बच्चे खेल नहीं रहे हैं।
(ii) मैं मुुंबई गया था।
मैं मुंबई नहीं गया था।
2. विधानवाचक वाक्य में
(i) मीना आज नहीं पढ़ेगी।
मीना आज पढ़ेगी।
(ii) अब मीरा नहीं गाएगी।
अब मीरा गाएगी।
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3. प्रश्नवाचक वाक्य में
(i) रोगी चल फिर सकता है।
क्या रोगी चल-फिर सकता है?
(ii)माँ खाना बना रही है।
क्या माँ खाना बना रही है?
4. आज्ञावाचक वाक्य में
(i) वह मिठाई खाता है।
वह मिठाई मत खाए।
(ii) विकास चित्र बनाता है।
विकास चित्र बनाए।
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5. संकेतवाचक वाक्य में
(i) छुट्टियाँ होने पर हम चलेंगे।
यदि छुट्टियाँ होगी, तो हम चलेंगे।
(ii) तुम्हारे आने से घर में रौनक बढ़ती है।
जब तुम आते हो, तो घर में रौनक बढ़ती है।
6. इच्छावाचक वाक्य में
(i) वह पढ़ता है।
काश! वह पढ़ता।
(ii) तुमने इनाम जीता।
ईश्वर करे, तुम इनाम जीतो।
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7. संदेहवाचक वाक्य में
(i) आज वर्षा होगी।
शायद आज वर्षा होगी।
(ii) वह आज बाजार जाएगा।
संभवतः वह आज बाजार जाएगा।
8. विस्मयाद्विवाचक वाक्य में
(i) तुमने पुरस्कार जीता।
वाह! तुमने पुरस्कार जीता।
(ii) तुम कब आए?
अरे! तुम कब आए?
30 Amazing Points संधि और संधि के भेद
रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
1. सरल वाक्य –
जिस वाक्य में एक उद्देश्य तथा कर्त्ता के संबंध में कहा गया शब्द मौजूद हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं,
जैसे- राम दूध पीता हैं
सरल वाक्य में एक कर्त्ता तथा एक क्रिया उपस्थित होती है।
2. मिश्र वाक्य –
जिस वाक्य मे सरल वाक्य के साथ दूसरा वाक्य संबद्ध हो उसे मिश्र वाक्य कहते है ऐसे वाक्यो में अधिक सामाजिक क्रियाएँ शामिल होती हैं।
जैसे- ‘वह कैसा व्यक्ति होगा, जिसने आम नही खाया हो।
3. संयुक्त वाक्य –
जिस वाक्य मे सरल अथवा मिश्र वाक्यो का मेल रहता है, उसे ‘संयुक्त वाक्य कहते है। संयुक्त वाक्यो में सरल अथवा मिश्र वाक्यो का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है।
जैसे- मैं जा रहा था और वह उधर से आया।
यह वाक्य दो सरल वाक्यो के मेल से ‘संयुक्त वाक्य बना है जबकि ‘और‘ संयोजक है। इस प्रकार क वाक्योे में उपवाक्य अव्यय से जुडे़ होते है। लेकिन अर्थ की दृष्टि से दोनो परस्पर स्वतंत्र होते है। कभी-कभी संयुक्त वाक्यो में अव्यय चिन्हों का लोप भी कर दिया जाता है।
जैसे- क्या सोचा था, क्या हो गया (‘पर‘ का लोप)
मुक्ता रहेगी, पिंकी जाएगी (‘और का लोप)।
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